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नीम-चा जल्द म्याँ ही न मियाँ कीजिएगा

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नीम-चा जल्द म्याँ ही मियाँ कीजिएगा

नीम-जानों का अभी काम रवाँ कीजिएगा

ताक़त-ए-गर्मी-ए-ख़ुर्शीद-ए-क़यामत है किसे

ताब की दाग़-ए-जिगर से फ़ुग़ाँ कीजिएगा

दिल में तुम हो जलाओ मिरे दिल को देखो

मेरा नुक़सान नहीं अपना ज़ियाँ कीजिएगा

कह दो बक़्क़ाल पिसर से कि मिरा दिल ले कर

क़स्द-ए-अख़्ज़-ए-दिल-ए-अग़्यार हाँ कीजिएगा

दिल से दिल पास हैं तो भी है दिलों की ख़्वाहिश

क्या दिलों की कहीं दिल्ली में दुकाँ कीजिएगा

और भी सोज़-ए-जिगर बज़्म में होगा रौशन

शम्अ साँ क़त्अ अगर मेरी ज़बाँ कीजिएगा

यार जब साथ सफ़र में हो कहाँ की रोज़ी

रोज़ रोज़ों ही में ईद-ए-रमज़ां कीजिएगा

किस से यारब कहूँ अहवाल ये कहता है वो बुत

अपनी याँ राम-कहानी बयाँ कीजिएगा

वो धुआँ-धार सी ज़ुल्फ़ें हैं नज़र में हर शब

विर्द अब सूरा-ए-वल्लैल-ओ-दुख़ाँ कीजिएगा

शहर-ए-दिल की तुम्हें आबादी का कुछ भी है ख़याल

या जहाँ रहिएगा वीराँ ही वहाँ कीजिएगा

मेरी जानिब से कहो मोहतसिब-ए-शहर से ये

सई-ए-अर्ज़ानी-ए-मय अज़ दिल-ओ-जाँ कीजिएगा

पानी पी पी के तुम्हें देवेंगे दुश्नाम ये रिंद

तुम सुबुक होगे अगर बादा गिराँ कीजिएगा

जल्द 'एहसाँ' से कहो वो बुत-ए-ख़ुद-काम आया

अब तो लिल्लाह कहीं बंद ज़बाँ कीजिएगा

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Sootradhar