अमरकंठ से निकली रेवा
अमृत्व का वरदान लिये।
वादियाँ सब गूँज उठीं और
वृक्ष खड़े प्रणाम किये।
तवा, गंजाल, कुण्डी, चोरल और
मान, हटनी को साथ लिये।
अमरकंठ से निकली रेवा
अमृत्व का वरदान लिये।
कपिलधार से गिर कर आई
जीवों को जीवन दान दिये।
विंध्या की सूखी घाटी में
वन-उपवन सब तान दिए।
अमरकंठ से निकली रेवा
अमृत्
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