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प्रियतम

कविताकविता
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मेरा प्रियतम,
डरता है
खोने से मुझको।
प्रिय!
मुझको खोने का 
डर है, तुमको?
पर तुमने पाया ही
कब था, मुझको?


पाना और खोना तो 
वस्तु का होता है,
मैं वस्तु नहीं 
ज़िदंगी से भरी
प्यार की ख़ुश्बू हूँ।
प्यार का मीठा,
रेशम-सा कोमल
अनजाना- सा
अहसास हूँ।


तुम मुझे खो, 
या 
पा नहीं सकते
सिर्फ़ महसूस 
कर सकते हो।
मेरे

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