एक आँचल का सहारा उबार देता,
हर दुःख को भगा जीवन सँवार देता।
उस आँचल में है कुंजी सभी सुख की,
संस्कार-प्यार से जीवन निखार देता।
जब हार मान थक जाती,
निराश हो अश्रु बहाती,
नाकाम हो हताश हो जाती,
तब एक आँचल की छाँव,
बचा लेता मेरा अस्तित्व,
सँभाल लेती मुझे मेरी माँ।
जब पग उठते ग़लत राह पर,
या लड़खड़ाते रहते मेरे क़दम,
रुक जाते यूँ ही अनायास,
तब संस्कार की गठ
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