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मित्रता पर दोहे

डॉ.  सुशील कुमार शर्माडॉ. सुशील कुमार शर्मा
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मित्र सदा मन में बसे, रखे प्रेम अनुबंध। 
नहीं मित्रता में निभें, स्वारथ के सम्बन्ध। 
 
मित्र सदा हो कृष्ण सा, करे सुनिश्चित जीत। 
या हो कर्ण चरित्र का, सीस कटा दे प्रीत। 
 
आँखों में ही झाँक कर, समझे मन की बात। 
सदा सहारा ही बने, करे न मन आघात। 
 
बाल-सखा सब याद हैं, रहते मन के पास। 
स्वारथ के संसार में, बस उन पर विश्वास। 
 
सदियों में मिलता कभी, भामा जैसा मित्र। 
कृष्ण-सुदामा मित्रता, पावन परम पवित्र। 
 

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