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आदिवासी दिवस पर दोहे

डॉ.  सुशील कुमार शर्माडॉ. सुशील कुमार शर्मा
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विश्व आदिवासी दिवस, शुभ शोभित शुभ नाम।
जल जंगल जीवन सुलभ, निर्मल हॄदय विराम॥
 
धरती से होते जुड़े, छल कपटों से दूर।
दीन हीन दारिद्रय मय, शोषण से मजबूर॥
 
प्रकृति रम्य जीवन जियें, मेहनतकश इंसान।
पढ़े लिखे इनको छलें, इनका बस भगवान॥
 
भील भारिया गौंड़ हैं, मीणा कोल किरात।
मुंडा खरिया सहरिया, कुड़मी होर फनात॥
 
जंगल के रक्षक यही, जंगल के सिरमौर।
जंगल के वासी मिटे, इस विकास के दौर॥
 
संस्कृति बड़ी प्राचीन ये, जीवन से अनुभूत।
भारत को गर्वित करें, ये भारत के पूत॥

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