लेखनी में आज माँ फिर से वो ही शक्ति भर दे ।
तम रहित मन हो मेरा माँ ऐसी मुझमें ज्योति भर दे ।
हो हमारी भारती की गूँज ही अब विश्व भर में।
देव भाषा हिन्दी की जय सर्वदा हर ओर कर दे।।
विश्व में इस से नहीं उत्तम कोई भी और भाषा।
जैसे बोलो वैसे लिख लो त्रुटि नहीं इसके स्वर में।।
राष्ट्र का गौरव यही है राष्ट्र की भाषा यही है।
हिन्द का अनुराग ये ही सिन्धु स
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