आज मैं बेटी हूँ
कभी बहू भी बनूगीं.
एक ख्वाईश है मेरी,
रुपयों पैसो से न सही
कर्म कर्तव्य से ही
मैं दोनों का फर्ज निभा सकू.
बड़ी बड़ी बातें न सही
छोटी छोटी खुशियां दे सकू.
इसका उसका तेरा मेरा नहीं
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आज मैं बेटी हूँ
कभी बहू भी बनूगीं.
एक ख्वाईश है मेरी,
रुपयों पैसो से न सही
कर्म कर्तव्य से ही
मैं दोनों का फर्ज निभा सकू.
बड़ी बड़ी बातें न सही
छोटी छोटी खुशियां दे सकू.
इसका उसका तेरा मेरा नहीं