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बेटी दिवस एक बेटी की नजर से



आज मैं बेटी हूँ

कभी बहू भी बनूगीं.

एक ख्वाईश है मेरी,

रुपयों पैसो से न सही

कर्म कर्तव्य से ही

मैं दोनों का फर्ज निभा सकू.

बड़ी बड़ी बातें न सही

छोटी छोटी खुशियां दे सकू.

इसका उसका तेरा मेरा नहीं

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