
बहुत हुआ रूहानी इश्क़ अब के तो मिलना है तुमसे,
ग़ज़लें नही लिखनी है छुना है तुमको…
वो हज़ार बार के पढ़े हुए खत एक और बार नही पढ़ने है मुझे,
मुझे अपनी उंगलिया तुम्हारी हाथेली पे चाहिए…
चूम लेना है माथा तुम्हारा, सीने से लगा लेना है तुमको, बाहो में भर लेना है..बहुत हुआ रूहानी इश्क़ अब के तो मिलना है तुमसे,
बहुत हुआ रूहानी इश्क़ अब के तो मिलना है तुमसे,
और फोन पे तो बिल
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