क़िताबों में कहीं न था की कैसे इश्क़ हो,
दिसम्बर का महीना था तो कैसे इश्क़ हो?,
हम उनसे भी निभाएंगे जो क़ाबिल है नहीं इसके,
सभी को हम सिखाएंगे की कैसे इश्क़ हो,
ज़रूरी ये नहीं की याद आयें हम ज़माने को,
मगर इतना तो कर
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