
जो काल के भाल पर वीरों सी छाप देते हैं
एक डुबकी में सागर की गहराई नाप लेते हैं
पुँज बनकर इस संकट में प्रखरना होगा
हे मानुष तुझे हंसकर चलना होगा ।
गिनने को जग में अगणित सितारे हैं
वो जीता ही क्या अब तक जो हारे हैं
अजेय बनकर रथ पर निकलना होगा
Read More! Earn More! Learn More!