![सिर्फ़ गले लगाने से दुख कम नही होते's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40yniraj10/None/1673851786639_16-01-2023_12-19-48-PM.png)
- कविता
तुम्हारे होंठ आज भी सुनते है बस
बस आँखें बोलती हैं आज भी
कुछ मुश्किल काम अब आसानी से हो जाते है
मैं आग ( तुम्हें) छूते हुए नही सोचता
तुम पानी (मुझे) छूते हुए सोचती हो
जो कुछ भी सुंदर और सरल है इस जहाँ में
उसमें तुम्हारा अंश है
'अक्सर बोलते-बोलते चूमने की इ
Read More! Earn More! Learn More!