त्याग कर फल की कामना,
सक्रिय कर अंदर सद्भावना,
आरंभ करेंगें जब नूतन काम,
ना सोचिए क्या होगा परिणाम,
गुण-अवगुण को स्वयं के पहचान,
कालचक्र की गति को लीजिए जान!
भय या लोभ गर फिर भी हो किंचित,
अवस्था में ना बने रहें जो करें चिंतित,
परमशक्ति का महसूस करें उपकार,
आपको तत्क्षण होगा सूक्ष्म साक्षात्कार!
कर्मकांड से ना होती श्रद्धा कभी सिद्ध,
साधन स्वयं को पहचानने के कई प्रसिद्ध!
स्वधर्म की महत्ता से सरल जानना मूल,
क्षय ना होगी ऊर्जा और समय फिज़ूल!
मापना नहीं संभव किन्तु भक्ति की मात्रा!
कर्म संग उन्नत करती आध्यात्मिक यात्रा।
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