क्या तुमने भी देखें हैं सशक्त सपने,
सोचा है समाज को कैसे समर्थ बनाते?
व्यक्तित्व में ऐसा बल जगाते,
रूठी हुई सोच को खुदके तेज़ से हराते,
छुपी हुई कलाओं को मिलकर रंगमंच तक पहुंचाते,
गतिशील दिमाग को ऐसी खुराक़ पिलाते..
ताकि कमज़ोरी की ऐंठन चुस्ती के समक्ष ढ़ेर हो जाए!
जन जन का उद्धार हो,
हर कला को पुरस्कार हो!
ना अकेला लड़े कोई होकर ल
Read More! Earn More! Learn More!