आत्मन्'s image

जज़्बातों में संजीदगी,

सौंदर्य से संपूर्ण ज़िंदगी,

लफ्ज़ों की हो जुगलबंदी,

पारदर्शी पहल से पेचीदगी!

कुछ स्पष्टता फिर यूं आएगी,

घनेरी कलह भी मिट जाएगी!

रात को बेचैनी ना जगाएगी,

जागरूकता उन्नति दिखाएगी!

सत्य के तेज से मुख दमकेगा,

मन का दर्पण भी खूब चमकेगा!

ओज से लिप्त आत्मन् हो पाक,

स्नेह की रिश्तों को मिले खुराक़,

हर प्रार्थना का असर समक्ष यूं उभरेगा,

जब शाश्वत सत्य को मन निष्पक्ष परखेगा,

बाकी चाहे जैसा भी हो देह रूपी लिबास,

परमात्मा के समक्ष प्रस्तुत सारा हिसाब,<

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