निवेदिता's image

मनोहर पर्व आया भाद्रपद के मास,

गजानना के लिए बनाए हमने मोदक खास!

मंगलमूर्ति की छवि कितनी निराली,

मन मुदित हो उठता सजाते हुए पूजा की थाली!

आज घर में उल्लसित हैं प्रत्येक जन!

ब्रह्म मुहूर्त में जागकर सबने किया स्नान से निर्मल तन!

इंतज़ार बप्पा के पुनः आगमन का था जब से हुआ गतवर्ष विसर्जन!

सुख, समृद्धि और सहजता का वरदमुर्तय की कृपा से अतुल्य अर्जन,

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