
हर पटकथा में प्रयोग के आसार,
शोध से निर्मित कथा का होता स्वत: प्रसार!
मौजूद होते भिन्न भावों वाले किरदार,
कला से होता प्रत्येक दिन दीदार,
कभी समझनी किरदार की भीतरी टूटन,
कभी दर्शानी होती जूझ में हो रही घुटन!
यहां पल में बदलने होते भूषण और वस्त्र!
भावभंगिमा में सही पकड़ ही बेजोड़ अस्त्र,
प्रस्तुति में प्रयोगों के रहते मुमकि
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