
एक दुर्लभ उपाय,
एक सुलभ सी राय?
खुदसे प्रेम अनोखा उपहार!
प्रत्येक दिन मानो त्यौहार,
खुशियों की रोज़ नन्ही बौछार,
खुदको गम से लिया जब संवार,
तो न रही कोई जूझ नागवार!
सब बातों का यही सरल सार,
खुदको जानने से ही भवसागर पार!
खुलेंगे सुषुम्ना के समस्त द्वार,
हृदय आत्मीयता लिए पधार,
होगा समस्त जग का उद्धार,
शांत होगी हर शिकायत निराधार,
इस प्रक्रिया में न मायने रखती रफ्तार!
मन को मिलेगी नई उर्मिल उमंग,
जिंदगी में घुलता उज्ज्वल सा रंग!
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