चैतन्य का चिराग's image
305K

चैतन्य का चिराग

देह का होता खुलेआम व्यापार!

आकर्षण जब तक बाज़ार को रिझाए,

फर्क नहीं फिर चाहे रहो तुम अंदर से मुरझाए!

ये माया का मोम सरीखा बाज़ार,

शमा में न पिघलना इसकी बेकार!

प्रचलित यहां अनेकों प्रथाएं हज़ार,

संदेह को दो सदा के लिए तुम नकार!

खूब दृढ़ता से हो हुनर की सुरक्षा,

कुदरत धैर्यवान को सदैव बख्शा!

करो तुम निरोगी काया का निर्माण,

संतुलित आहार हैं उपाय रामबाण,

एकाग्रता से सपने भी लेंगे आकार,

आनंदित रहने के हैं निरंतर आसार!

कोशिश से बेहतर भी होता चले व्यवहार!

सक्षम बनो मिले

Read More! Earn More! Learn More!