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भारत और बदलाव

क्या खूब ये नवीनतम चाव!

बदलाव का गहन सा बहाव,

पश्चिमीकरण से जब भी हुए हम सीमित!

तभी केवल हुए अस्तित्व को लेकर विचलित,

वास्तव में हम सभी जानें अपना स्वराज,

परिचित रहें कैसे उत्कृष्ट हो अपना समाज,

कहां से मुमकिन संपूर्ण संपदा का विस्तार?

भारत से ही तो शुरू हुआ वस्त्रों का व्यापार!

जूट उत्पादन में मिला पहला स्थान!

उपजाऊ धरती की प्राप्त हमें शान,

अनेक हुए अमर निज होकर कुर्बान!

भारत की सुधा से ही विश्व में बढ़ा ज्ञान,

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