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बार ही बार मेरे दिल ने जसारत की है 
बाद तेरे भी जो तुझसे ही मोहब्बत की है 

कोशिशें करता रहा तुझको भुलाने की मगर 
इसी उलझन में तेरी और भी चाहत की है 

मुझको आदम ने सिखाएं हैं अदब हव्वा के 
इस वजह से तेरी नादानी की इज़्ज़त की है 

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