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अब तो हादसों पर भी हंसी आती है 
जिंदगी इस कदर क्यों आज़माती है
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औरों से करके ज़िक्र उनको बदनाम भी नहीं करता
अब तो हादसे की किसी को ख़बर भी नहीं करता 
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इंसानों में इंसानियत अब कहां बाकी रही है
अब तो दहशत खुलेआम मुस्कुरा रही है
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