
क्या मैं एक क़ैद में हु?,
एक छोटा सा कमरा जिसमें हम कुछ और जिवित परिचित अपरिचित,
किंचित डरे हुए, किंचित उलझन में,
मन में महज़ एक सवाल कि कब मिल पायेंगे अपनों से,
एक छटपटाहट एक मजबूरी कुछ ना कर पाने की
और फिर सब को चीरता हुआ एक प्रश्न मन में
क्या मैं एक क़ैद में हुँ?
कल हम कुछ जिवित परिचित अपरिचित निकले थे
एक उम्मीद में कि कहीं कुछ हो जाये कोई रास्ता दिखे
पता लगा कि दुरस्थ से परवाज़ अपनों को ला रहीं है अपनों से मिलनेसो एक उम्मीद हम कुछ जिवित परिचितों अपरिचितों को भी लगी
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