![कभी कभी's image](/images/post_og.png)
हर दिल का मलाले- उल्फत रहते हैं कभी कभी,
वो दिलों से दिलों में हिजरत करते हैं कभी कभी,
अब मैं आज़ाद हो गया हूं उस ख्याले खुदखुशी से,
जिसे कुछ लोग रस्में मुहब्बत कहते हैं कभी कभी।
हमें तो भुला दिया गया है हम कुछ लोग हैं हशीयोंमें,
हम अब कहां साया ए हिक्म
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