!["वजूद" - विवेक मिश्र's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40viveka-misra/None/1668691844771_17-11-2022_19-00-47-PM.png)
अल्फाजों से बयाँ न कर इश्क़ खामोशी से जताया जाय,
जज्बातों को दें जिन्दगीं तो फिर न बाज़ार सजाया जाय,
ख्वाब पड़े हैं अधूरे अपने वालिदों के वतन की माटी में,
पैदा कर वहीं रोटी अब फर्ज ए वतनपरस्ती निभाया जाय,
ढूंढेंगे ले चिराग तो मिल न सकेगा कभी भी अंधेरा हँस के,
है उसका भी कुछ वजूद कभी तो पलकें झपकाया जाय,
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