!["सूर्य देखे दिया" - विवेक मिश्र's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40viveka-misra/surya-dekhe-diya-viveka-misra/Screenshot_2022-03-09-09-56-19-20_09-03-20.jpg)
एक दिन अच्छा अवसर तककर,
जब दीप के सम्मुख था दिनकर,
तानों से उपजी सब कुंठा तजकर,
कहा खुद ही की लौ में सिमटकर,
जल को निज अर्ध्य का हक देकर,
मुझसे पूजन थाल सा गगन लेकर,
आपके दर्शन का मेरा मन मार दिया,
समदर्शी सा नहीं यह व्यवहार किया,
उलाहना दीपक की यह सुनकर,
बोले सूर्यनारायण थोड़ा हँसकर,
तम ने तेरे नीचे अधिकार किया,
क्या नहीं मैंने तुझको प्यार दिया,
हर शाम ढला मैं जब थककर,
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