१. इश्क भी उसी से,नफरत भी उसी से,
बताना चाहूँ जिसे,छुपाऊँ भी उसी से,
दिन भर बचता भटकता रहा उसी से,
शब में फफक के लिपट जाऊँ उसी से,
गिला शिकवा तमाम कह चुका उसी से,
अब वो आये तो मैं जाना जाऊँ उसी से,
ग़ज़ल के कायदे में होगा राफिया उसी से,
मेरे तो अल्फाज उसी से काफिया उसी से,
२. अजीब है मेरा दाता पर मैं भी छोड़ता नही उसको,
माँगी दौलत तो दी उसने शान से फकीरी मुझको,
तुमने चढ़ा के हार उससे क्या कहा था
Read More! Earn More! Learn More!