मन की अभिलाषा's image
533K

मन की अभिलाषा

अभिलाषा है मन की

ओस की बूंद हो जाऊं।

मोती सा चमकूं,

कांच की गेंद हो जाऊं।

जैसे किरणे आती है,

टटोलती है सहलाती है,

अंतर्मन को भाती हैं,

किरणों संग लीन हो जाऊं। <

Read More! Earn More! Learn More!