ये बैचनी ये तलब ये आशिकी
कभी उतर न सकेगा मेरे सर से
इसलिए मैं वादा करता हूं
मैं तुम्हें भूल जाऊंगा
ये दोस्ती ये मोहब्बत ये प्यार
सब छलावा है एक उमर से
मैं वादा करता हु
मैं तुमसे जुदा हो जाऊंगा
ये झूठ है की मैं लिखता हूं
मैं कभी अच्छा लिखता ही नहीं
एक तूने कहा था खुद पे गजल लिखे को
और मैं हूं की एक विशाल कृतिकार भी न बन सकी
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