किताबों में जब मन लगने लगा।
पढ़ता रहूँ अजीवन लगने लगा।
जब पढ़ा तब जाना बोलती है ये।
सुकून का खजाना खोलती है ये।
प्यासा था, ढूँढता-फिरता था सैराब।
प्यास बुझ गई जब हाथ लगी किताब।
किताब इक पूरा इंसान होती है।
अपने लेखक की ये जान होती हैं।
किताब में वो लिख देता स्वयं को।
पढ़कर लगता, लिखी हो वयं को
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