
ये फिक्र को जताना
ये जिक्र होते पलकें डबडबाना
ये मन का ताना बाना
ये कुर्बत का नया ठौर ठिकाना
ये बनकर अनजाना
ये नये लहजे बातों को बताना
ये महफ़ि
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ये फिक्र को जताना
ये जिक्र होते पलकें डबडबाना
ये मन का ताना बाना
ये कुर्बत का नया ठौर ठिकाना
ये बनकर अनजाना
ये नये लहजे बातों को बताना
ये महफ़ि