
कोई मिला खवाईशों के मकान लिए, तो कोई, खुशियों की दुकान लिए।
सबकी फुर्सत पर दिखा धुन सवार, मिला हर कोई, बातों में उड़ान लिए।
संग खेले थे जिसके बचपन में, धूल में,
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कोई मिला खवाईशों के मकान लिए, तो कोई, खुशियों की दुकान लिए।
सबकी फुर्सत पर दिखा धुन सवार, मिला हर कोई, बातों में उड़ान लिए।
संग खेले थे जिसके बचपन में, धूल में,