हटेगा धना कोहरा, धुंध भी अब मिट जाएगा।
थोड़ा ठहरो, सब साफ साफ दिखता जाएगा।
भ्रम के जाल से, मैं जब निकल कर आएगा।
प्रखर ये शौर्य तुम्हारा, तब नये राह बनाएगा।
प्रण ल
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थोड़ा ठहरो, सब साफ साफ दिखता जाएगा।
भ्रम के जाल से, मैं जब निकल कर आएगा।
प्रखर ये शौर्य तुम्हारा, तब नये राह बनाएगा।
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