
मन है मथुरा में फाग गाता
ब्रज खेलता होली ताल में
रास रचाते कृष्ण गोपी संग
भीगे आंगन रंग गुलाल में
भाता सरसों का पीलापन
टेसू रंग भरता निहाल में
कुछ रंग तुम्हारे सजदे में
लगा दूं थोड़े अब गाल में
थोड़े
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मन है मथुरा में फाग गाता
ब्रज खेलता होली ताल में
रास रचाते कृष्ण गोपी संग
भीगे आंगन रंग गुलाल में
भाता सरसों का पीलापन
टेसू रंग भरता निहाल में
कुछ रंग तुम्हारे सजदे में
लगा दूं थोड़े अब गाल में
थोड़े