
न है आहट कोई
न निशान पत्थरों पर
अब ये बेजान शहर
कहाँ अच्छा लगता है।
चहकती कहाँ चिडिंयाँ
शजर भी है खाली
खामोशी भरा मंजर
कहाँ अच्छा लगता है।
दौरे उल्फत
वो दौर
अब उसका
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न है आहट कोई
न निशान पत्थरों पर
अब ये बेजान शहर
कहाँ अच्छा लगता है।
चहकती कहाँ चिडिंयाँ
शजर भी है खाली
खामोशी भरा मंजर
कहाँ अच्छा लगता है।
दौरे उल्फत
वो दौर
अब उसका