गुस्सा's image

छुपा था कहीं

एक संयोग की तलाश मैं

उठा जो तनिक धुंआ

वो उमड़ पड़ा हमरा होकर भी हमी से लड़ पडा

रण हुआ घनघोर रण हुआ

करुणा को त्याग नाश हुआ

स्वयं का ही नाश हुआ

वो काली घटा सा उमड़ पड़ाअपने परायो मैं भेद भुला

वो बरस पड़ा अपनो पर ही बरस पड़ा

वो वह्नि सा था भसम का अभिप्राय था

वो दौड़ पड़ा सबको राख बनाने को दौड़ पडा

वो क्ष

Read More! Earn More! Learn More!