
वो मेरा नाम अपने दिल से मिटाने चले हैं
कमाल है बना घर अपना जलाने चले हैं।
उनकी जिद है उखाड़ देंगे जड़ से नींव मेरी
उनसे कहिए कहाँ हम खुद को टिकाने चले हैं।
जिस दिल को सजाया उन्होंने अपने ख्वाबों से
आज बहुत बेरुखी से उसको हटाने चले हैं।
जो तन गुल व कलियों से महकाया था कभी
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