
मुँह फेर कर उसकी गली से गुज़रते हो
मिजाज़ में इतनी सख़्ती भी ठीक नहीं है
हम कह रहे हैं आदमी ये धोकेबाज़ है
हमसे ज़ियादा हमको नहीं जानती हैं आप
दुनियाँ ने कर दी है आगाज़ ए बग़ावत
क्यों देर है फिर आप भी पत्
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मुँह फेर कर उसकी गली से गुज़रते हो
मिजाज़ में इतनी सख़्ती भी ठीक नहीं है
हम कह रहे हैं आदमी ये धोकेबाज़ है
हमसे ज़ियादा हमको नहीं जानती हैं आप
दुनियाँ ने कर दी है आगाज़ ए बग़ावत
क्यों देर है फिर आप भी पत्