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महफ़िल सजा रहे हैं ghazal By Vinit Singh Shayar

क्या बात है कि हम यूँ गुनगुना रहे हैं

इंतज़ार में किसके महफ़िल सजा रहे हैं


मैं हूँ भी यहाँ पर या मैं हूँ कहीं और

मौला मेरे ये कैसा मंज़र दिखा रहे हैं


कोई ज़वाब तो दे दे मेरे सवाल का अब

क्या सबब है वो हमारे क़रीब आ रहे हैं


वो सामने हैं बैठें गुलाब ले

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