सरेआम हक़ उन पे जताना है किसी दिन
उनको यह बात बताना है किसी दिन
ऑंखों के इशारे तो हम ने देखे हैं बहुत
हिजाब चेहरे से हटाना है किसी दिन
"इक आप ही नहीं इस दिल में और भी हैं"
बात ये कह कह के सताना है किसी दिन
साँस ये रहती है जब तक आप ही के हैं
फिर हाथ छुड़ा कर चलें जान
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