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हज़ारों के दिलबर by Vinit Singh Shayar

ग़ज़ल ये आख़िरी हम पढ़ रहे हैं

हम उसको याद कर के मर रहे हैं


हमारे बाद क्या बोलेगी दुनियाँ

ये किस माहौल से हम डर रहे हैं


ग़ज़ल ये लिख रहे हैं आख़िरी अब

तुम्हारे नाम यह भी कर रहे हैं


लिखा था ख़त तुझे तन्हाई

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