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हाथ मलना चाहिए था shayari by Vinit Singh Shayar

हमें कुछ कर गुज़रना चाहिए था

उसी दर पर ही मरना चाहिए था


मिलाता है तू उस से आँख कैसे

तुम्हे तो यार डरना चाहिए था


पता गलत जो लिख डाला है तुमने

ख़त उसके नाम करना चाहिए था


लगाई थी कभी जो आग तुमने

हमें उसमें ही जलना चाहिए था


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