आज वक्त का लगभग 28 साल बीतने को है। कभी कभी जब पीछे मुड़कर देखते हैं तो लगता है कि ज़िंदगी की गाड़ी में सवार होकर ना जाने कितनी दूर निकल आए हैं। बहुत सारे लोग, जानें अनजाने चेहरे कई बार मेरी नजरों के सामने घूमने लगते हैं। सच कहूं तो ज़िंदगी के जिस सफ़र में हम हैं या जिस किसी भी सफ़र में रहेगें, हम कभी उन सबको नहीं भूल सकते जिन्होंने मुझे यहां तक आने में अपना एक एक कीमती योगदान दिया है। चाहे वो मेरी राहों में काटें बिछाकर हो या उसे हटाकर। ज़िंदगी के कई उतार चढ़ाव को आते जाते देखा है हमनें। सच कहें तो एक दोस्त ने कहा था कि हम बहुत ही ज़िद्दी इंसान हैं, एक अजीब सी धुन है मुझे ज़िंदगी को लेकर। उसकी बात आजतक हमारे कानों में गूंजती है। हम मानते हैं कि हम आवारा है लेकिन लापरवाह नहीं है, ना कभी हो सकतें हैं।
हमें आजतक ऐसा कोई वक्त नहीं मिला जिस पर घमंड किया जाए, ना ही ऐसा कोई वक्त जिसको लेकर अफ़सोस किया जाए। ज़िंदगी को बड़ी ही संजीदगी के साथ जीना आता है हमें। हम बस ज़िंदगी को जीना चाहते हैं सीखना चाहते हैं। हमें कभी किसी से शिकायत नहीं हुई कि उसने मेरा साथ नहीं दिया या वो मेरी सहायता कर सकता था लेकिन उसने सहायता नहीं किया। हमें याद है कि पहली बार हमनें एक दोस्त के साथ इसी बात को साझा किया था जिसमें हमने उनसे कहा था कि कई लोगों ने मेरा साथ नहीं दिया। उस दिन उन्होंने हमें एक बहुत प्यारी बात कही थी कि क्या साथ देते वो लोग, क्या वो आकर तुम्हारे लिए फ़ोटो खींच देंगे या वो तुम्हारे लिए नौकरी कर देंगे, तुम्हारी ज़िंदगी है तुम्हें फ़ैसला करना है कि तुम अपनी सहायता करना चाहते हो या नहीं। उस दिन के बाद से हमनें कभी शिकायत नहीं किया। कम ज्यादा जो मिला जैसे मिला जी लिया।