हाल ना पूछो दिल-ए-बेक़रार का
पूछ लीजिए क़िस्सा इज़हार का
दिल लगाया है दिल की रानी से,
ग़ज़ब ढा गया मुस्कुराना दिलदार का
कल शाम कदम रखा जो उनकी गलियों में,
ख़ुशबू से भीग गया मोहब्बत-ए-यार का
मिली नज़र जब नज़र से उनकी,
खिल गया चेहरा दिल-ए-बीमार का
खो गया मैं उनकी झील सी आँखों में यूँ
कि भूल गया बातें जीत की और हार का
पास गए, सीने से लगाया और धीरे से कहा,
क्या हाल है मेरे सनम मेरे दिलदार का
मैं तो खूब तड़पत
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