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विश्वास की डोरी

ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते-अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।


ॐ कालभैरवाय नम:। ॐ भयहरणं च भैरव:। ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं। ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्। 


विश्वास की डोरी टूटे न दरबार तुम्हारा छुटे न-चमत्कार कुछ ऐसा करो के बेटा तुझसे रूठे ना 


तेरी मेरी प्रीत पुरनी याद है या फिर भूल चुके-या बाबा आँखों में तुम्हारे बन कर के शूल चुभे-तूने लिखी थी किस्मत जो किसी और के हाथो टूटे

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