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तुम्हारे विचारों की धारा

कविताएं छपवाने के लिए चाहिए तो बस थोड़ी बहुत चाटुकारिता और संपादक के जूते को चाटने भर की हिम्मत 


छपने लायक कविताएं सिर्फ जनेऊ पहन के ही लिखी जा सकती है 

गाय भैंस चराने वाले लोग

चाम छीलने वाले लोग

कपड़ा धोने वाले लोग

भुजा भुजने वाले 

जनेऊ न पहनने वाले लोग

सिर्फ चुटकुला लिखते है

कम से कम संपादक महोदय

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