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गुमला, झारखंड के दोस्त के नाम पत्र

ये गीत उत्सव के गीत है

बसंत के आने का उत्सव

पलाश के फूलों से पूरा जंगल के रंग जाने का उत्सव

महुआ के चुने का उत्सव

कोयल के गीत का उत्सव

बनबेला के महक उठने का उत्सव

बीहड़ बन चुके पहाड़ पर बसंत आने का उत्सव

मेरी दोस्त तुम इन जंगलों से बाहर अगर आना चाहती हो

तो मत आना,

यहां सिर्फ कारखानों से निकलते धुएं और गाड़ियों के पी पी की

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