
जो रोशनी न दे वो मजहब हो नही सकता
जो अंधेरों में धकेले वो रब हो नहीं सकता
नफरत की नसीहतों में कैसे जिएगा मजहब
दिखावे का ये दंगल मजहब हो नही सकता
मेरे हर कदम पर उठे तेरी सवालिया नज़र
बंदी रूहों का शहर मजहब हो नहीं सकता
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