
वो क़िताब मेरे दर्द की
मेरी मुस्कराहटों का आइना
वो दर्द सब दबा दबा
बस मुस्कुराहटों की नुमाइशें
क्यों कर यहाँ उलझे कोई
किसीके दरिया-ए-दर्द में
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वो क़िताब मेरे दर्द की
मेरी मुस्कराहटों का आइना
वो दर्द सब दबा दबा
बस मुस्कुराहटों की नुमाइशें
क्यों कर यहाँ उलझे कोई
किसीके दरिया-ए-दर्द में