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तुम थे तो तुम्हारी हुकूमतें..23/40 .. 40 Poems in 40 Days

तुम थे तो, तुम्हारी हुकूमतें और दस्तूर तुम्हारे थे

न हो परेशां कि कैसे होगा दस्तूरे दुनियां तेरे बगैर 


खुशफहमी ये जायज़, कि तूने किये कमाल कई

गलतफहमी न पाल कि कुछ थम जाएगा तेरे बगैर


कितने ही थे शामिल इस घुड़दौड़ में तुमसे पहले

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